कविता एक चिड़िया है
जो अपना घोंसला तो
पेड़ की ऊँची से ऊँची शाख पर बनाती है
लेकिन जो अपना भोजन
धरती के गन्दे से गन्दे कोने में खोजती है !
इसलिए,
हे संसार के महापुरुषों !
कविता मत करो
क्योंकि सृजन के लिए
उसके साथ
तुम्हें भी जमीन की
गंदगियों में उतरना पड़ेगा।
Friday, December 11, 2009
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